Thursday, December 18, 2014

विनय उपाध्याय को पं.बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिलभारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान

मीडिया विमर्श के आयोजन में 7 फरवरी को होंगे अलंकृत 
भोपाल। हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता को सम्मानित किए जाने के लिए दिया जाने वाला पं. बृजलाल द्विवेदी अखिलभारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान इस वर्ष ‘कला समय’ (भोपाल) के संपादक श्री विनय उपाध्याय  को दिया जाएगा।श्री विनय उपाध्याय  साहित्यिक पत्रकारिता के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर होने के साथ-साथ देश के जाने-माने संस्कृतिकर्मी एवं लेखक हैं। जनवरी,1998 से वे कला-संस्कृति पर केंद्रित महत्वपूर्ण पत्रिका ‘कला समय’ का संपादन कर रहे हैं।
       पुरस्कार के निर्णायक मंडल में सर्वश्री विश्वनाथ सचदेव,  रमेश नैयर, डा. सच्चिदानंद जोशी, डा.सुभद्रा राठौर और जयप्रकाश मानस शामिल हैं। इसके पूर्व यह सम्मान वीणा(इंदौर) के संपादक स्व. श्यामसुंदर व्यास, दस्तावेज(गोरखपुर) के संपादक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, कथादेश (दिल्ली) के संपादक हरिनारायण, अक्सर (जयपुर) के संपादक डा. हेतु भारद्वाज, सद्भावना दर्पण (रायपुर) के संपादक गिरीश पंकज और व्यंग्य यात्रा (दिल्ली) के संपादक डा. प्रेम जनमेजय को दिया जा चुका है। त्रैमासिक पत्रिका ‘मीडिया विमर्श’ द्वारा प्रारंभ किए गए इस अखिलभारतीय सम्मान के तहत साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले संपादक को ग्यारह हजार रूपए, शाल, श्रीफल, प्रतीकचिन्ह और सम्मान पत्र से अलंकृत किया जाता है। सम्मान कार्यक्रम 7, फरवरी, 2015 को गांधी भवन, भोपाल में सायं 5 बजे आयोजित किया गया है। मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी ने बताया कि आयोजन में अनेक साहित्कार, बुद्धिजीवी और पत्रकार हिस्सा लेगें। इस अवसर पर ‘मीडिया और मूल्यबोध’ विषय पर व्याख्यान भी आयोजित किया गया है।
कौन हैं विनय उपाध्यायः ­ 
साहित्य,संस्कृति और कला पत्रकारिता में विगत 25 वर्षों से समान सक्रिय। दैनिक भास्कर और नई दुनिया समाचार समूह में लम्बी सम्बद्धता के बाद इन दिनों दो सांस्कृतिक पत्रिकाओं "कला समय" और "रंग संवाद" का सम्पादन और अपनी रचनात्मक प्रतिबद्धता के लिए अनेक प्रादेशिक और राष्ट्रीय सम्मानो से विभूषित। जनवरी 1998 में कला और विचार की द्वैमासिक हिंदी पत्रिका  "कला समय" का सम्पादन आरम्भ। साहित्य और कला जगत से जुडी अनेक विभूतियों और घटना-प्रसंगों पर दस्तावेज़ी  अंकों का प्रकाशन। उनके द्वारा संपादित कलासमय पत्रिका माधवराव सप्रे समाचार पत्र और शोध संस्थान द्वारा रामेश्वर गुरु पुरूस्कार से सम्मानित। भारत सहित विदेशों में भी शोध-अध्ययन के लिए कला समय सन्दर्भ पत्रिका के बतौर मान्य। हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर और कंठ संगीत में विशारद। देश भर की  पत्र -पत्रिकाओं में सांस्कृतिक विषयों पर नियमित स्तम्भ और समसामयिक कला मुद्दों पर आलेख और टिप्पणियों का प्रकाशन। दूदर्शन के लिए अनेक वृत्तचित्रों का आलेख और पार्श्व स्वर तथा संगीत-नृत्य के राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय समारोहों के संचालन का सीधा प्रसारण। कई निजी प्रतिष्ठानो द्वारा निर्मित दृश्य-श्रव्य प्रस्तुतियों का संचालन। बतौर कला समीक्षक देश के विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक यात्राएं और अखबारों के लिए विशेष रिपोर्टिंग। कविता लेखन और संगीत  में भी विशेष  रूचि। प्रसार भारती द्वारा गणतंत्र दिवस के प्रतिष्ठित सर्व भाषा कविता सम्मलेन हेतु हिंदी के युवा कवि बतौर बनारस में शिरकत। मधुकली वृन्द द्वारा जारी संगीत अलबमों में गायक स्वर। एक  दर्जन से भी ज्यादा साहित्यिक -सांस्कृतिक संस्थाओं के मानद सदस्य। इन दिनों आईसेक्ट युनिव्हर्सिटी से सम्बद्ध वनमाली सृजन पीठ के राज्य समन्वयक। एक दशक पहले मॉरीशस का साहित्यिक प्रवास।

Thursday, December 11, 2014

मीडिया विमर्श का नया अंक एकात्म मानववाद पर केन्द्रित

एकात्म मानववाद के 50 वर्ष पूरे होने पर मीडिया विमर्श का वार्षिकांक  'भारतीयता का संचारकहो रहा है चर्चित
भोपाल 11 दिसंबर जनसंचार के सरोकारों पर केन्द्रित त्रैमासिक पत्रिका 'मीडिया विमर्शका नवीनतम अंक 'भारतीयता का संचारक' बाजार में आते ही राजनीति और मीडिया के क्षेत्र में चर्चित हो गया है। राष्ट्रवादी विचारधारा के स्तम्भ पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन और पत्रकारीय कौशल पर उम्दा सामग्री इस अंक में है। उनके विचार दर्शन 'एकात्म मानववादको 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसलिए पत्रिका का यह अंक खास और चर्चित हो रहा है। पत्रिका अपने आठ वर्ष पूर्ण कर नवें साल में प्रवेश कर रही है और यह उसका वार्षिकांक है।
            मीडिया विमर्श के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भारतीय राजनीति को एक दिशा दी थी। यही नहीं वे कुशल संचारक भी थे। सही मायने में पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीयता के संचारक थे। उनके जीवन के इस पहलू पर बहुत कुछ लिखा-पढ़ा नहीं गया है। जनसंचार के क्षेत्र से जुड़े लोग भारतीयता के संचारक के नाते दीनदयालजी के संबंध में अध्ययनलेखनविश्लेषण और शोध करेंइस उद्देश्य को ध्यान में रखकर मीडिया विमर्श का अक्टूबर-दिसम्बर अंक सबके सामने है। श्री द्विवेदी ने बताया कि दुनिया में अलग-अलग समय में अनेक विचारकों ने देशकाल और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कई विचारधाराओं का प्रतिपादन किया। लेकिनये सब पूर्ण नहीं है। दीनदयालजी ने मनुष्य की संपूर्णता का चिंतन करते हुए एकात्म मानववाद का प्रतिपादन किया। एकात्म मानववाद को पचास साल पूरे हो रहे हैं। यह भी एक कारण है कि हमने दीनदयाल जी के पत्रकारिता में योगदान के साथ-साथ एकात्म मानववाद से संबंधित सम्पूर्ण सामग्री को मीडिया और राजनीति से जुड़े लोगों के सामने लाने का निर्णय लिया।
            मीडिया विमर्श का यह वार्षिकांक चार खण्डों में विभक्त है। पहले खण्ड में संचार और मीडिया के क्षेत्र में उनके योगदान पर समृद्ध सामग्री है। इस खण्ड में डॉ. वेदप्रताप वैदिकदेवेन्द्र स्वरूपडॉ. नंदकिशोर त्रिखाडॉ. महेशचंन्द्र शर्मा और गिरीश उपाध्याय सहित अन्य विद्वानों के लेख शामिल हैं। दूसरा खण्ड दस्तावेज है। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकरनानाजी देशमुखडॉ. सम्पूर्णानंद के दीनदयालजी के संबंध में लिखे लेखों-भाषणों का संकलन किया गया है। तीसरे खण्ड में एकात्म मानववाद के विषय में दीनदयाल जी के व्याख्यानों का संकलन है। चौथे खण्ड 'विचार दर्शन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंहमाखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियालाकुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद जोशीजितेन्द्र बजाजबजरंगलाल गुप्ताजगदीश उपासनेरमेश नैयरइंदुमति काटदरे सहित अन्य विद्वानों के लेख प्रकाशित हैं।
 प्रस्तुतिः लोकेंद्र सिंह

Saturday, December 6, 2014

भारतीयता का संचारक


एकात्म मानवदर्शन के पचास साल पूरे होने पर ‘मीडिया विमर्श’ का वार्षिकांक... भारतीयता के संचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को समर्पित. पूरा अंक पढ़ने के लिए चित्र पर क्लिक कीजिये...